सहाबा से द्वेष रखने का हुक्म - हिन्दी - मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद: मैं एक आदमी के साथ सम्मानित सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम के बारे में बात चीत कर रहा था, उसने मुझसे कहा : हम में से कोई भी व्यक्ति किसी भी सहाबी को नापसंद कर सकता है और यह इस्लाम के विरूद्ध नहीं है, -इस्लाम से नहीं टकराता है, तथा उसने कहा : हो सकता है कि यह -अर्थात् सहाबा से घृणा - उस आदमी को ईमान के दायरे से बाहर कर दे, परंतु वह इस्लाम के दायरे में बाक़ी रहता है। इसलिए हम आप से अनुरोध करते हैं कि इस मामले को स्पष्ट करे।
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